गोरखपुर नरसंहार

ये फोटो बी बी सी से ली गई है. इस फोटो की सच्चाई किसी से छुपी नही है मगर लोगों की खामोशी चाटुकारिता का बयान चिल्ला-चिल्ला कर दे रही है कि बच्चे तो मरते है मगर आप हमारे नेताओं पर उंगली ना उठाये. नेता जी का दर्द ज्यादा दिखता है उन 60 पीड़ित परिवार के लोगो के मुकाबले.

योगी सरकार के दो कार्य

सरकार जब बनती है तो सबसे पहले लोगो की ज्यादा बड़ी परेशानी को कम करने के लिए कदम उठाती है मगर योगी सरकार ने अपने कट्टर सांप्रदायिक विचार के चलते एक नही कई ऐसे कदम उठाये है.

1. कुछ समुदाय के लोगों के विकास के लिए ना सोच कर उन पर आपने आदेश थोपना.

2.हर भाषण पर पल्ला झाड़ना जैसे क्राइम,विकास, रोजगार, गरीबी इन सवालो पर जवाब अटपटा मिलना.

गोरखपुर नरसंहार मे पीड़ित परिवार की चीख उन कानो तक गई जो इंसानियत के लिए जाने जाते है, उन मासूम की लाशों के साथ बाहर आते परिवार के लोगों का दर्द मीडिया पर दिखता रहा मगर प्रदेश के मुख्यमंत्री पार्टी मे व्यस्त थे.बहुत बड़े-बड़े नेताओं का ट्विटर अकाउंट बंद मिला वही विपक्ष भी बस दुखद घटना कह कर रह गया. योगी सरकार इस पर अलग-2 तरीके से बात करते हुए दिखी. प्रधानाचार्य साहब को बर्खास्त किया और फिर डा. कफिल अहमद साहब को जिनको उस रात 30 बच्चों को बचाने वाला फरिश्ता कह रहे थे मगर अब वो भी सरकारी बकरा बनाया गया है.

आलोचना

काश ये दिमागी बुखार उन लोगो को होता जो इस पर चुप है, काश ये मौते उन घरों मे होती जो कहते है अगस्त मे मौते होती है, काश ये दर्द और दुख उन पर होता जो इसमे सरकार को सही बता रहो है.काश मै उन चापलूसी करने वालों से कह सकता की *2007 के दंगों मे अपराधी रहने वाला सीएम क्यो?

इस स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

मदरसों की वीडियोग्राफी से अच्छा है अस्पतालो की करा लो सीएम साहब… एक फोटो आपके लिए.

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